Soch [Alternative Version]

Ali Raza, Bilal Ali, Shane J. Anthony, Usman Siddiqui, Vais Khan, Zair Zaki

यह दरया और नदी भी मिलते हैं कहीं
पर रूह जो मेरी माने अक़ल कहती है नही
सोच सोच के थक गया हूँ मैं खोने दो मुझे हो ओ
सोच सोच के थक गया हूँ मैं सोने दो मुझे हो ओ
सोच सोच के थक गया हूँ मैं सोने दो मुझे

यह आबर और घटा बरस जाए गी कहीं
जब होगी रोशनी तो होगी जन्नत यहीं

यह दरया और नदी भी मिलते हैं कहीं
पर रूह जो मेरी माने अक़ल कहती है नही हो ओ

खोने दो
खोने दो
सोने दो

खोने दो
खोने दो
सोने दो

खोने दो मुझे
खोने दो मुझे
सोने दो

सोच सोच के थक गया हूँ मैं खोने दो मुझे हो ओ
सोच सोच के थक गया हूँ मैं सोने दो मुझे हो ओ
सोच सोच के थक गया हूँ मैं सोने दो मुझे

Wissenswertes über das Lied Soch [Alternative Version] von Kashmir

Wer hat das Lied “Soch [Alternative Version]” von Kashmir komponiert?
Das Lied “Soch [Alternative Version]” von Kashmir wurde von Ali Raza, Bilal Ali, Shane J. Anthony, Usman Siddiqui, Vais Khan, Zair Zaki komponiert.

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