Khoobsurat

ANAND BAKSHI, UTTAM SINGH

क्या कोई सूरत इतनी
खूबसूरत हो सकती हे, हाँ हो सकती हे
मैने देखी हे, अपनी आँखो से
हो अपनी आँखो से
क्या कोई सूरत इतनी
खूबसूरत हो सकती है हाँ हो सकती हे
मैने देखी हे, अपनी आँखो से
हो अपनी आँखो से

कदम कदम पे इस अदा से यू मचल रही है वो
ज़मीन पर नही कसम से दिल पे चल रही हे वो
उसको देखा हे जबसे, पुच्छ रहा हूँ मैं सबसे
क्या कोई सूरत इतनी
खूबसूरत हो सकती हे, हाँ हो सकती हे
मैने देखी हे, अपनी आँखो से
हो अपनी आँखो से

ज़रा ज़रा सा उसके जो, करीब आ रहा हूँ मैं
तो मुझसे केह रहा हे मेरा दिल की जा रहा हूँ मैं
उसको देखा हे जबसे, सोच रहा हू मैं तबसे
क्या कोई सूरत इतनी
खूबसूरत हो सकती हे, हाँ हो सकती हे
मैने देखी हे, अपनी आँखो से
ओ अपनी आँखो से

हा हा हा ह हा हा
हा हा हा हा हा हा

ये मासूम चेहरा, की फुलो का सेहरा
ये रंगीन नज़रे, की शायर की ग़ज़ले
ये दिलकश जवानी, के आग और पानी
ये जुल्फे परेशा, की अब्रे बहारा
ये खुश्बू ही खुश्बू, ये जादू ही जादू
ये लड़की अकेली, या कोई पहेली
ये अंदाज़ ऐसे, सभी नाज़ ऐसे
वो सारे जहा से, हो नाराज़ जैसे
निकले एक दुआ लब से
माँग लू उसको मैं रब से
क्या कोई सूरत इतनी
खूबसूरत हो सकती हे, हाँ हो सकती हे

आ आ आ आ आ (आ आ आ आ आ)

आ आ आ आ आ (आ आ आ आ आ)

Wissenswertes über das Lied Khoobsurat von Kumar Sanu

Wer hat das Lied “Khoobsurat” von Kumar Sanu komponiert?
Das Lied “Khoobsurat” von Kumar Sanu wurde von ANAND BAKSHI, UTTAM SINGH komponiert.

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