Sabse Hum Door Huye

Nadeem-Shravan, Sameer

सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
इश्क़ में चूर हुए तुमसे मिलने के बाद

सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
कितने मगरूर हुए तुमसे मिलने के बाद

सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद

पहले तोह न लगती थी ये दुनिया इतनी प्यारी
पहले तोह कभी भी नहीं थी ऐसी बेक़रारी
हल्का हल्का दर्द है कोई हल्का सा नशा
ऐसे अलाम मैं भी मुझको आता है मज़ा
ज़ख्म न सुर हुये तुमसे मिलने के बाद

सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद

इम्तेहा मोहब्बत मैं मैं कभी लूंगा
इश्क मै तेरे दिलबर अपनी जान दुँगा
तु जो कह दे तो मैं छोडु यह सारा जहाँ
जीना क्या मरना भी मुश्किल है अब तेरे बिना
कितने मजबूर हुए तुमसे मिलने के बाद

सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद

आजा पास आजा तुझे सीने से लगालु
बरसों की बेताबियों को आज मैं मिटादु
तेरी चाहत मेरे दिल में हैं अब सुबहो शाम
मेरे होठों पे तो है अब बस इक तेरा नाम
कितने मसरूर हुए तुमसे मिलने के बाद

सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
इश्क़ मे चूर हुए तुमसे मिलने के बाद
सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
सबसे हम दूर हुए तुमसे मिलने के बाद
कितने मगरूर हुए तुमसे मिलने के बाद

Wissenswertes über das Lied Sabse Hum Door Huye von Kumar Sanu

Wer hat das Lied “Sabse Hum Door Huye” von Kumar Sanu komponiert?
Das Lied “Sabse Hum Door Huye” von Kumar Sanu wurde von Nadeem-Shravan, Sameer komponiert.

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