Kafan Apna Kabhi

Anand Bakshi

कफ़न अपना कभी सीने न देंगे
ये प्यासे है तुम्हे पिने न देंगे
किसी को चैन से जीने न देंगे
तुम इनकी जान बर्बत से चूडा दो
ज़माने से गरीबी को हटा दो
ज़माने से गरीबी को हटा दो
ज़माने से गरीबी को हटा दो हटा दो
अमीरो अमीरो सब गरीबो को मिटा दो
अमीरो सब गरीबो को मिटा दो
ज़माने से गरीबी को हटा दो

कहा तक इनकी हो से डरोगे
ये खली पेट तुम कब त कभारोगे
कहा तक इनकी ाहो से डरोगे
ये खली पेट तुम कब त कभारोगे
अगर ये जग उठे तो क्या करोगे
तो क्या करोगे
हमेशा के लिए इनको सुला दो
हमेशा के लिए इनको सुला दो
ज़माने से गरीबी को हटा दो

सिकायत का न लेगा नाम कोई
करेगा क्यों तुम्हे बदनाम कोई
सिकायत का न लेगा नाम कोई
करेगा क्यों तुम्हे बदनाम कोई
न होगा तुमपे फिर इलज़ाम इलज़ाम कोई
तुम इनके खून की कीमत चूका दो
तुम इनके खून की कीमत चूका दो
ज़माने से गरीबी को हटा दो

नहीं डरते किसी भी कहर से ये
नहीं डरते किसी भी कहर से ये
नहीं मारते किसी भी जहर से ये
जल जायेंगे पैट किसी सहर से ये
चले जायेंगे खुद इसी शहर से ये
लगा दो आग इनके घर जला दो
लगा दो आग इनके घर जला दो
ज़माने से गरीबी को हटा दो हटा दो
अमीरो अमीरो सब गरीबो को मिटा दो
अमीरो सब गरीबो को मिटा दो
ज़माने से गरीबी को हटा दो

Wissenswertes über das Lied Kafan Apna Kabhi von Mohammed Aziz

Wer hat das Lied “Kafan Apna Kabhi” von Mohammed Aziz komponiert?
Das Lied “Kafan Apna Kabhi” von Mohammed Aziz wurde von Anand Bakshi komponiert.

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