Log Jahan Per Rahate Hain [Sad]
ANAND BAKSHI, LAXMIKANT KUDALKAR, SHARMA PYARELAL
खुशियों के दीप जलाएंगे
खुशियों के दीप जलाएंगे
सपनों के फूल खिलाएंगे
सपनों के फूल खिलाएंगे
मिटने ना देंगे इस घर को इस घर पर हम मिट जाएंगे
इस घर पर हम मिट जाएंगे
ऐ माँ
ऐ माँ
तेरे बच्चे तेरी सौगंध उठा कर कहते हैं
लोग जहां पर रहते हैं
उस जगह को वो घर कहते हैं
हम इस घर में रहते हैं
इसे प्यार का मंदिर कहते हैं