Na Tum Amir Hoti

Anwar Sagar

ना तू अमीर होती ना में गरीब होता
ना तू अमीर होती ना में गरीब होता
अगर तेरा मेरा ओ दिलबर एक जैसा नसीब होता
तो दूर हम ना होते मजबूर हम ना होते
तो दूर हम ना होते मजबूर हम ना होते

ना मैं अमीर होती ना तू गरीब होता
अगर तेरा मेरा ओ दिलबर एक जैसा नसीब होता
तो दूर हम ना होते मजबूर हम ना होते
तो दूर हम ना होते मजबूर हम ना होते

साथिया साथिया
साथिया साथिया

सदियों से ये जमाना दुश्मन है दो दिलों का
दुश्मन है दो दिलों का
तोडा है जालिमों ने हर सपना आशिकों का
हर सपना आशिकों का

हर मोड़ ले हम देंगे चाहत के इम्तिहान
ना में वफा पे हम तो हो जाएंगे कुर्बान
हो जाएंगे कुर्बान
जो प्यार का ना आपने कोई रकीब होता
तो दूर हम ना होते मजबूर हम ना होते
तो दूर हम ना होते मजबूर हम ना होते

साथिया साथिया
साथिया साथिया

उल्फत का ये फ़साना हम खून से लिखेंगे
हम खून से लिखेंगे
जीना है संग तेरे संग तेरे ही मरेंगे
संग तेरे ही मरेंगे

हर मोड़ पे है अब तो ये इश्क़ का ऐलान
रोके से ना रुकेगा ये प्यार का तूफान
ये प्यार का तूफान

जो प्यार का मसीहा अपने करीब होता
तो दूर हम ना होते मजबूर हम ना होते

तो दूर हम ना होते मजबूर हम ना होते
साथिया साथिया
साथिया साथिया
साथिया साथिया
साथिया साथिया

Wissenswertes über das Lied Na Tum Amir Hoti von Mohammed Aziz

Wer hat das Lied “Na Tum Amir Hoti” von Mohammed Aziz komponiert?
Das Lied “Na Tum Amir Hoti” von Mohammed Aziz wurde von Anwar Sagar komponiert.

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