Sulagati Hain Aankhen

FAROOQ QAISER, LAXMIKANT SHANTARAM KUDALKAR, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA

सुलगती हैं आँखे तरसती हैं बहे
सुलगती हैं आँखे तरसती हैं बहे
गले से लगा लो के जी चाहता है
मुझे ख़ाख कर दो मुझे राख कर दो
मुझे फूक डालो के जी चाहता है

सुलगती हैं आँखे तरसती हैं बाहें
गले से लगा लो के जी चाहता हैं
उधर भी हैं तूफान इधर भी हैं तूफान
भवर से निकलो के जी चाहता हैं
सुलगती हैं आँखे तरसती हैं बाहें
गले से लगा लो के जी चाहता है

यहाँ तक तो पहुँचे यहाँ तक तो आये
यहाँ तक तो पहुँचे यहाँ तक तो आये
सनम तुमपे डाल दूं ज़ुल्फो के साये
सनम तुमपे डाल दूं ज़ुल्फो के साये
ये रुकना मचलना मचलकर सम्भालना
ये परदे हटा लो के जी चाहता हैं
उधर भी हैं तूफान इधर भी हैं तूफान
भवर से निकलो के जी चाहता है

बहारो के दिन हैं जवानी की रातें
ये दो चार हैं मेहरबानी की राते
बहारो के दिन हैं जवानी की रातें
ये दो चार हैं मेहरबानी की राते
नशा आ रहा हैं शबर जा रहा हैं
ये रातें मन लो के जी चाहता हैं
सुलगती हैं आँखे तरसती हैं बाहें
गले से लगा लो के जी चाहता हैं
मुझे खाख कर दो मुझे राख कर दो
मुझे फूक डालो के जी चाहता हैं
सुलगती हैं आँखे तरसती हैं बाहें
गले से लगा लो के जी चाहता हैं.

Wissenswertes über das Lied Sulagati Hain Aankhen von Mohammed Aziz

Wer hat das Lied “Sulagati Hain Aankhen” von Mohammed Aziz komponiert?
Das Lied “Sulagati Hain Aankhen” von Mohammed Aziz wurde von FAROOQ QAISER, LAXMIKANT SHANTARAM KUDALKAR, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA komponiert.

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