Udja
Burrah, Kausar Munir
हौले हौले खुल गयी
दिल की किवादियान
भौरी भौरी
जाग गयी पुरवइयाँ
कोरा सा तोड़ा सा
कागज़ी ये जहाँ
बाचता हूँ सांचता
अपना ही आसमान
उड़जा रे मनवा, उड़जा
उड़जा रे मनवा, उड़जा
तुइयाँ तुइयाँ बदलियाँ
च्चत ती जाती रे
चाँदनी अटरिया पे चकमकती रे
तारों के तार भी
जुड़ते जाते हैं
तूती फूटी किस्मतें
मुस्कुराती रे
उड़जा रे मनवा, उड़जा
उड़जा रे मनवा, उड़जा
धीरे धीरे से मनवा
धीरे सब कुछ होवे
धीरे धीरे से मनवा
धीरे सब कुछ होवे
माली सीँचे सौ घड़ा
ऋतु आवे तो फल होवे
माली सीँचे सौ घड़ा
ऋतु आवे तो फल होवे
उड़जा रे मनवा, उड़जा
बेसिरा रे मनवा, उड़जा