Humdard [Unplugged]

Mithun Sharma

तुम आ गए ज़िंदगी आ गई
दिल को मेरे रौनकें मिल गईं
रब करे वक़्त भी रुक जाए यहीं
ये पल मैं जी लूँ सदा
अब दूर जाना नहीं
जो तू मेरा हमदर्द है
जो तू मेरा हमदर्द है
सुहाना हर दर्द है
जो तू मेरा हमदर्द है

तेरी मुस्कुराहटें हैं
ताक़त मेरी
मुझको इन्हीं से उम्मीद मिली
चाहे करे कोई सितम ये जहाँ
इनमें ही है सदा हिफ़ाज़त मेरी
ज़िंदगानी बड़ी ख़ूबसूरत हुई
जन्नत अब और क्या होगी कहीं
जो तू मेरा हमदर्द है
जो तू मेरा हमदर्द है
सुहाना हर दर्द है
जो तू मेरा हमदर्द है

तेरी धड़कनों से है ज़िंदगी मेरी
ख़्वाहिशें तेरी अब दुआएँ मेरी
कितना अनोखा बंधन है ये
तेरी मेरी जान जो एक हुई
लौटूँगा यहाँ तेरे पास मैं हाँ
वादा है मेरा मर भी जाऊँ कहीं
जो तू मेरा हमदर्द है
जो तू मेरा हमदर्द है
सुहाना हर दर्द है
जो तू मेरा हमदर्द है

Wissenswertes über das Lied Humdard [Unplugged] von Palak Muchhal

Wer hat das Lied “Humdard [Unplugged]” von Palak Muchhal komponiert?
Das Lied “Humdard [Unplugged]” von Palak Muchhal wurde von Mithun Sharma komponiert.

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