Phir Hateli Pe
फिर हथेली पे लकीरो का समंदर देखूं
ला तेरा हाथ के मैं अपना मुक़द्दर देखूं
फिर हथेली पे लकीरो का समंदर देखूं
ला तेरा हाथ के मैं अपना मुक़द्दर देखूं
ढून्दता रहता हूँ चेहरो के घने जगल में
ढून्दता रहता हूँ चेहरो के घने जगल में
शायद एक रोज तेरा रूप कहीं पर देखूं
ला तेरा हाथ के मैं अपना मुक़द्दर देखूं
मुझको मालूम हैं साजिश तो करेगी दुनिया
मुझको मालूम हैं साजिश तो करेगी दुनिया
खाब चूं लून तो कहीं वक़्त से च्छुपकर देखूं
ला तेरा हाथ के मैं अपना मुक़द्दर देखूं
फिर हथेली पे लकीरो का समंदर देखूं
ला तेरा हाथ के मैं अपना मुक़द्दर देखूं.