Dard-E-Dil [Trending]
सुनो मेरा दर्द ए दिल
उसने ज़ख़्म दिया फिर वो हँसके चल पड़ी
हम तो उनके मुंतज़ीर
शिकवे लखो पर
चेहरे पे शिकन नही
कहना तो है काफ़ी तुमसे
शायद एक बार तो माँग लॉगी माफी मुझसे
लोग कहते हम ना रह गये है पहले जैसे
शायद तू रह गयी है काफ़ी मुझमे
भारी दुनिया लगती खाली सी है
ना हू अकेला पर अकेलेपन का साथ भी है
तू गयी तो चला गया सुकून भी
अब किसी जिस्म मे तेरे जिस्म सा आराम नि है
पढ़ा कर तू मेरे बारे पढ़ा कर
जाना है क्या उपर लेके वफ़ा तुझे बचाकर
हँसी गया फंसकर, हँसी गयी भुला कर
कोई घायल ना छूटे जब कोई छोरे गले लगाकर
नज़्म तेरे नाम पे तो देता हू कुछ बड़ा पढ़
हो गयी तू खर्च, करूँगा क्या इतना कमा कर
ज़्यादा सुनाया तूने
और फिर सुना कम
बात बस इतनी सी की गया नि तू बता कर
सुनो मेरा दर्द ए दिल
उसने ज़ख़्म दिया फिर वो हँसके चल पड़ी
हम तो उनके मुंतज़ीर
शिकवे लखो पर
चेहरे पे शिकन नही