Ik Mod [Male]

Adheesh Verma

एक मोड़ तू मिली, ज़िंदगी
कुछ देर तो रुकी, फिर कहाँ खो गई
मेरा हाथ थाम ले चल वहाँ
जहाँ एक हो सके ये आसमाँ और ज़मीं
टूटा तारा हूँ मैं, गिरता हूँ बेवजह
तेरे साए में माँगू मैं पनाह
ऐसा भी क्या हुआ, ज़िंदगी
मेरी हमसफ़र बनी, फिर हुई अजनबी
एक मोड़ तू मिली, ज़िंदगी
कुछ देर तो रुकी, फिर कहाँ खो गई
एक मोड़ तू मिली, ज़िंदगी हाँ, ज़िंदगी

हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ

पानियों पे जैसे कोई टूटा सा पत्ता बहे
ये दिल ना जाने क्यूँ तुझ पे ही ठहरा रहे
बादलों से जब धूप की रेशम किरणें बहे
ये दिल ना जाने क्यूँ तुझको ही ढूँढा करे
ये बता, ज़िंदगी
टूटा तारा हूँ मैं, गिरता हूँ बेवजह
तेरे साए में माँगू मैं पनाह
जब से हुए जुदा, क्या कहूँ
बेचैन सा फिरूँ दर-ब-दर, ज़िंदगी
एक मोड़ तू मिली, ज़िंदगी (ज़िंदगी)
कुछ देर तो रुकी, फिर कहाँ खो गई
एक मोड़ तू मिली, ज़िंदगी हाँ, ज़िंदगी

Wissenswertes über das Lied Ik Mod [Male] von Papon

Wer hat das Lied “Ik Mod [Male]” von Papon komponiert?
Das Lied “Ik Mod [Male]” von Papon wurde von Adheesh Verma komponiert.

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