Mulaqat

Prateek Kuhad

ये कैसी मुलाक़ात है
जैसे सदियों से तुम मेरी जान हो
अब कैसे मैं ये समझाऊ
कितनी आगजनी से तुम्हारा वह मुझे
इंतज़ार है ओ ओ ओ (ओ ओ ओ)

तुम जो पास आये
चूमने का ये बहाना लेके
तबसे तुम मेरी हो दास्तां
चाँद को बुला कर तुमने चमकाई मेरी जो रातें
तबसे मैं तुम्हारा ही हुआ
दोनों ही कलाइयों पे चाँदी है सजी
होठों पे जो लाली है
दिल में बस गई
ये मिलन की कैसी आग है
जल जाने की आस है
मदहोशी हो या ना भी हो
इस प्यार की गहरी का कोई
इन्तेहां नहीं ओ ओ ओ

ओ ओ ओ ओ ओ ओ (ओ ओ ओ)

नाचने का मन करे तो झूम लेंगे हम
और सितारों के बागीचे घूम लेंगे हम
थोड़ी सी मज़ाकिया भी बातें हम करेंगे
मिल गया है आशियाँ हम आखों से कहेंगे
यूं होता है प्यार क्यों
थोड़ा डर भी है थोड़ा जुनून
है खफा महलिफ़ की बेहतबी
जाने कैसे कोई कह सके ये
इत्तेफाक है ओ ओ ओ

ओ ओ ओ ओ ओ ओ

ये कैसी मुलाक़ात है
जैसे सदियों से तुम मेरी जान हो
अब कैसे मैं ये समझाऊं
कितनी अरसो से मुझे तुम्हारा ही मुझे इंतज़ार है

ओ ओ ओ ओ ओ ओ (ओ ओ ओ)

ये कैसी मुलाक़ात है (ओ ओ ओ)
ये कैसी मुलाक़ात है (ओ ओ ओ)
ये कैसी मुलाक़ात है (ओ ओ ओ)
ये कैसी मुलाक़ात है

Wissenswertes über das Lied Mulaqat von Prateek Kuhad

Wann wurde das Lied “Mulaqat” von Prateek Kuhad veröffentlicht?
Das Lied Mulaqat wurde im Jahr 2023, auf dem Album “Mulaqat” veröffentlicht.

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