Chal Ve Watna
मिट्टी कहती
रुक जा ना जा दीवाने
किस्मत लेकिन कब सुनती है बहाने
चल वे वतना, फेर मिलांगे
बैठके लम्बी बात करांगे
चल वे वतना, फेर मिलांगे
बैठके लम्बी बात करांगे
तेरी सौंधियों सी मिट्टियों को
मैं साथ लेके चला
तेरी कही छोटी बड़ी
हर बात लेके चला
तेरे बादलों को काटके
है रुमाल सिर पे रखा
तेरी याद की नर्मी से यारा
है रूह को भी ढका
सुन वे वतना, दिल ये गिरवी
कोल तेरे छोड़ चलांगे
चल वे वतना, फेर मिलांगे
बैठके लम्बी बात करांगे
पंछी मुड़के ना देखे
घर वो पुराने
आँख भर आए तो
पंख फिर उड़ना ना जाने
बस्ते में तेरी यादें, मिट्टी सिरहाने
इतनी ही दौलत लेके निकले दीवाने
जब आएंगे हम लौटकर
अपने मोहल्ले यहाँ
हर मोड़ पे, हर गली भी पूछेगी
तुम थे अब तक कहाँ
सब खोल दे हम झोलियां
बरसो से जोड़ी हुई
खोजेंगे जो चिट्ठी तेरी
रखी थी मोड़ी हुई
अपने उधड़े दिल को उस दिन
तेरे धागे नाल सिलांगे
चल वे वतना, फेर मिलांगे
बैठके लम्बी बात करांगे