Gham-E-Ashiqui

Parveen Shakir

गम-ए-आशिक़ी तेरी राह में
शब-ए-आरजू तेरी चाह में
जो उजड गया वो बसा नहीं
जो बिछड़ गया वो मिला नहीं

कभी अर्श पर कभी फर्श पर
कभी उन के दर कभी दरबदर
कभी अर्श पर कभी फर्श पर
कभी उन के दर कभी दरबदर
गम-ए-आशिक़ी तेरा शुक्रिया
हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए
ग़म-ए-आशिक़ी तेरा शुक्रिया
हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए

तेरी हाथ विच डोर वे साइयाँ
उत्ते मी दा की ज़ोर वे साइयाँ
गुम सुम बैठी कमलेया वांगु
अंदर चुप दा शोर वे साइयाँ

मुझे याद है कभी एक थे
मगर आज हम है जुदा जुदा
मुझे याद है कभी एक थे
मगर आज हम है जुदा जुदा
वो जुदा हुए तो संवर गए
हम जुदा हुए तो बिखर गए
ग़म-ए-आशिक़ी तेरा शुक्रिया
हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए
गम-ए-आशिक़ी तेरा शुक्रिया
हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए
आ आ आ

कभी नींद में कभी होश में
तू जहां मिला तुझे देख कर
कभी नींद में कभी होश में
तू जहां मिला तुझे देख कर
ना नज़र मिली ना ज़ुबान हीली
यू ही सर झुका के गुज़र गए
ग़म-ए-आशिक़ी तेरा शुक्रिया
हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए
गम-ए-आशिक़ी तेरा शुक्रिया
हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए

Wissenswertes über das Lied Gham-E-Ashiqui von Rahat Fateh Ali Khan

Wer hat das Lied “Gham-E-Ashiqui” von Rahat Fateh Ali Khan komponiert?
Das Lied “Gham-E-Ashiqui” von Rahat Fateh Ali Khan wurde von Parveen Shakir komponiert.

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