Halka Halka

ABHIJIT SHARAD VAGHANI, NUSRAT FATEH ALI KHAN, RASHMI SINGH

ये जो हल्का हल्का सुरूर है
तेरे इश्क़ का ही फितूर है
मैने जो लिखा था मिटा दिया
और तुझको अपना खुदा किया
ये जो हल्का हल्का सुरूर है
तूने कुछ किया तो ज़रूर है
जिस दिन से तू है दिखा पिया
मैने साँस लेना भुला दिया
जिस्म से रूह का
इक सफ़र हो तुम
आख़िरी साँस में
इक उमर हो तुम
दुनिया की भीड़ में
मुझको बस तू दिखे
क्या मैं तुमको दिखू
कहो ना तुम
ये जो हल्का हल्का सुरूर है
कुछ इश्क़ सा तो ज़रूर है
मैने जागना सोना भुला दिया
मुझे क्या से क्या है बना दिया

तू मेरे खून में
बह रहा है कहीं
तू मेरे ख्वाब में
जाग रहा है कहीं
मेरी हर बात में
बस तेरा ज़िक्र है
कुछ मेरे बारे में
कहो ना तुम
ये जो हल्का हल्का सुरूर है
तेरे इश्क़ का ही फितूर है
मैने जो लिखा था मिटा दिया
और तुझको अपना खुदा किया
किसी ने ना किया है
जैसा इश्क़ तेरा मेरा
मैं दौड़ता आता हूँ
कोई नाम ले जो तेरा
किसी ने ना किया है
जैसा इश्क़ तेरा मेरा
मेरे घामों की रात का
तू उजला सवेरा
किसी ने ना किया है
जैसा इश्क़ तेरा मेरा
मेरे घामों की रात का
तू उजला सवेरा

रहने दो ना नशे में
तुम फेरो ना नज़र
हल्का सा ही आया है
अभी चाहत का असर
किसी ने ना किया है
जैसा इश्क़ तेरा मेरा
मैं दौड़ता आता हूँ
कोई नाम ले जो तेरा
किसी ने ना किया है
जैसा इश्क़ तेरा मेरा
मेरे घामों की रात का
तू उजला सवेरा

Wissenswertes über das Lied Halka Halka von Rahat Fateh Ali Khan

Wer hat das Lied “Halka Halka” von Rahat Fateh Ali Khan komponiert?
Das Lied “Halka Halka” von Rahat Fateh Ali Khan wurde von ABHIJIT SHARAD VAGHANI, NUSRAT FATEH ALI KHAN, RASHMI SINGH komponiert.

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