Shoorveer III
जय शिवराय जय शंभुराजे
जय शिवराय जय शंभुराजे
जय शिवराय जय शंभुराजे
जय शिवराय जय शंभुराजे
हुंकार भरे बादल गरजे-गरजे
तलवार उठे बिजली कड़के कड़के
पग धर दे जहां धरती धूजे-धूजे
बन काल मराठा बढ़ जीते
एक एक कर सब गढ़ जीते
हर दुश्मन से लड़ रण जीते
हिंद रे माथे सूरज सा
छत्रपति वीर शिवा चमके
थे तेज तिलक तलवार शिवाजी
हो शंभू रूप अवतार शिवाजी
हुई धरा धन्य जण लाल शिवाजी
राखी केसरिया की लाज शिवाजी
थे तेज तिलक तलवार शिवाजी
हो शंभू रूप अवतार शिवाजी
हुई धरा धन्य जण लाल शिवाजी
राखी केसरिया की लाज शिवाजी
मूठभर घेतली मावले सोबती
नाय पहिल्या जाती-पाती, लड़ले माटी साती
फड़ला कोटला, नाय चालू दिलया कुटी-नीति
मुघलांचा उरवार फडकवला भगवा हाती
मुघलाचा बाप तो राजा माझा, राजा माझा
सूर्यहूँ तेज तो राजा माझा, राजा माझा
हर-हर करी गाजा वाजा गाजा वाजा
हर-हर करी उबा केला स्वराजा माझा
विजय तिलक कढ़े भाल रहे
म्हारी ममता थारी ढाल रहे
लाज बचाना माटी री
कहे जीजा बाई शिवाजी से
जब तक तू तेरी सांस रहे
परे शारे से रण म काल रहे
लड़ना जब तक प्राण रहे
कायम वतन स्वाभिमान रहे
थे तेज तिलक तलवार शिवाजी
हो शंभू रूप अवतार शिवाजी
हुई धरा धन्य जण लाल शिवाजी
राखी केसरिया की लाज शिवाजी
थे तेज तिलक तलवार शिवाजी
हो शंभू रूप अवतार शिवाजी
हुई धरा धन्य जण लाल शिवाजी
राखी केसरिया की लाज शिवाजी
जय शिवराय जय शंभुराजे
जय शिवराय जय शंभुराजे
जय शिवराय जय शंभुराजे
जय शिवराय जय शंभुराजे
दड़ये दिलां शौर्यचया, लिहिली गाथा इतिहसची
बल दिले मुठी -मुठी, सहनाई चौघड़ा
धड़ दिलां शौर्यचया, लिहिली गाथा इतिहसची
बल दिले मुठी-मुठी, सहनाई चौघड़ा
वाजे-गाजे सहयद्रिया कड कोटि नाद घूमे तीन्ही लोकी
जय भवानी, जय शिवाजी, जय भवानी
हाँ, चाहा वो हिंद एक डोर से बाँधा
उसने चाहा वो हिंद केसरिया रंगा
हाँ ,चाहा वो हिंद चारों और जुड़ा
उसने चाहा वो हिंद पर्वत सा खड़ा
जीवन अर्पण इस पूज्या धारा को
उतरा रन पर जब खूब लड़ा वो
जादू जान-जान पर खून बहा दो
लहरे परचम, प्राण गवाँ दो
थे तेज तिलक तलवार शिवाजी
हो, शंभू रूप अवतार शिवाजी
हुई धारा धान्या जान लाल शिवाजी
राखी केसरिया की लाज शिवाजी
थे तेज तिलक तलवार शिवाजी
हो, शंभू रूप अवतार शिवाजी
हुई धारा धान्या जान लाल शिवाजी
राखी केसरिया की लाज शिवाजी
थे तेज तिलक तलवार शिवाजी
हो, शंभू रूप अवतार शिवाजी
हुई धारा धान्या जान लाल शिवाजी
राखी केसरिया की लाज शिवाजी
लगते गए लाशों के ढेर, बस बहा लहुऊँ कभी रुका नहीं
लड़ता रहा वो शेर मराठा, वो छत्रपति कभी झुका नहीं