Virah Vyatha Se Vyatit Dravit Ho Van Van Bhatke Ram

Mohammed Aziz, Ravindra Jain

सिते, आश्रम देखि जानकी हीना
भए बिकल जस प्राकृत दीना

विरह व्यथा से
व्यतीत द्रवित हो
बन बन भटके राम
बन बन भटके राम
अपनी सिया को
प्राण पिया को
पग पग ढूंढे राम
विरह व्यथा से
व्यतीत द्रवित हो
वन वन भटके राम
वन वन भटके राम

Wissenswertes über das Lied Virah Vyatha Se Vyatit Dravit Ho Van Van Bhatke Ram von Ravindra Jain

Wer hat das Lied “Virah Vyatha Se Vyatit Dravit Ho Van Van Bhatke Ram” von Ravindra Jain komponiert?
Das Lied “Virah Vyatha Se Vyatit Dravit Ho Van Van Bhatke Ram” von Ravindra Jain wurde von Mohammed Aziz, Ravindra Jain komponiert.

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