Chand Ke Saath

JAI SHANKAR MISHRA, SANDEEP BANERJEE

चाँद के साथ कल रात चलता रहा
रातभर चाँदनी भी बरसाती रही
चाँद के साथ कल रात चलता रहा
रातभर चाँदनी भी बरसाती रही
मान में दूध दर्द कितने समेटे हुए
मान में दूध दर्द कितने समेटे हुए
वेदना निस्सरण को तरसाती रही
चाँद के साथ कल रात चलता रहा
रातभर चाँदनी भी बरसाती रही
चाँद के साथ

सांझ से ही मुझे चाँद यूउन ही दिखा
स्मृति पाट पर भी विविध चित्रा उठाने लगे
सांझ से ही मुझे चाँद यूउन ही दिखा
स्मृति पाट पर भी विविध चित्रा उठाने लगे
स्नेह के प्रीति के वेदना ग्रंथ के
स्नेह के प्रीति के वेदना ग्रंथ के
बस परत दर परत पृष्ठ खुलने लगे
चाँद के साथ कल रात चलता रहा
रातभर चाँदनी भी बरसाती रही
चाँद के साथ

मान में दुख दर्द के ज्वार उठाने लगे
वेदना गीत बन बन उमड़ाने लगी
मान में दुख दर्द के ज्वार उठाने लगे
वेदना गीत बन बन उमड़ाने लगी
चाँद तारों को च्छुने की जो थी ललक
चाँद तारों को च्छुने की जो थी ललक
बन कसक फिर उमड़ाने घूमड़ाने लगी
चाँद के साथ कल रात चलता रहा
रातभर चाँदनी भी बरसाती रही
चाँद के साथ

रात जब चाँद का संग मिल ही गया
बात ही बात में बात बढ़ती गयी
रात जब चाँद का संग मिल ही गया
बात ही बात में बात बढ़ती गयी
युग युगों से घनी भूत थी वेदना
युग युगों से घनी भूत थी वेदना
रात भर हो द्रवित गीत बनती गयी
चाँद के साथ कल रात चलता रहा
रातभर चाँदनी भी बरसाती रही
मान में दूध दर्द कितने समेटे हुए
मान में दूध दर्द कितने समेटे हुए
वेदना निस्सरण को तरसती रही
चाँद के साथ कल रात चलता रहा
रातभर चाँदनी भी बरसती रही
चाँद के साथ

Wissenswertes über das Lied Chand Ke Saath von Roop Kumar Rathod

Wer hat das Lied “Chand Ke Saath” von Roop Kumar Rathod komponiert?
Das Lied “Chand Ke Saath” von Roop Kumar Rathod wurde von JAI SHANKAR MISHRA, SANDEEP BANERJEE komponiert.

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