Tere Naam Khat Likhun Padh Ke

Ram Rasik

तेरे नाम ख़त लिखूँ, पढ़ के रोऊ हँसु
तेरे नाम ख़त लिखूँ, पढ़ के रोऊ हँसु
हाल ऐसा अगर हो तो, फिर क्या लिखू
तेरे नाम ख़त लिखूँ, पढ़ के रोऊ हँसु
तेरे नाम

तू गया था मुझे, जिस जगह छोड़ कर
मैं खड़ी हू वही, बस उसी मोड़ पर
तू गया था मुझे, जिस जगह छोड़ कर
मैं खड़ी हू वही, बस उसी मोड़ पर
एक मुद्दत से खुद को संभाले हुए
मैं तेरे लौट आने की आहट सुनू
तेरे नाम ख़त लिखूँ, पढ़ के रोऊ हँसु
तेरे नाम

अब किसी पाँव की घर में आहट नही
चूड़ियो की कोई ख़न खनाहट नही
ओ अब किसी पाँव की घर में आहट नही
चूड़ियो की कोई ख़न खनाहट नही
ज़िंदगी बेमज़ा हो गयी है सनम
जी में आता है अब ये जहाँ छोड़ दू
तेरे नाम ख़त लिखूँ, पढ़ के रोऊ हँसु
तेरे नाम

तेरी यादो का तन्हा कफ़न ओढ़ कर
ज़िंदगी का भरम किस तरह तोड़ कर
तेरी यादो का तन्हा कफ़न ओढ़ कर
ओ ज़िंदगी का भरम किस तरह तोड़ कर
अब तलक़ मैं हू ज़िंदा तो बस इसलिए
एक हसरत है दिल में, तुझे देख लू
तेरे नाम ख़त लिखूँ, पढ़ के रोऊ हँसु
तेरे नाम

Wissenswertes über das Lied Tere Naam Khat Likhun Padh Ke von Sadhana Sargam

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Das Lied “Tere Naam Khat Likhun Padh Ke” von Sadhana Sargam wurde von Ram Rasik komponiert.

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