Kaagaz Poetry
आ आ आ आ
कुछ न हीं है मगर है सब कुछ भी
क्या अजब चीज़ है ये काग़ज़ भी
बारिशों में है नाव काग़ज़ की
सर्दियों में अलाव कागज़ की
आसमाँ में पतंग काग़ज़ की
सारी दुनिया में जंग काग़ज़ की
कभी अख़बार कभी ख़त काग़ज़
रोज़ मर्रह की ज़रुरत काग़ज़
आने जाने की सहूलत काग़ज़
जीने मरने की इजाज़त काग़ज़
प्यार की चिट्ठियां भी काग़ज़ की
काम की अर्ज़ियाँ भी काग़ज़ की
जश्न में झंडियाँ भी काग़ज़ की
जिस्म की मंडियाँ भी काग़ज़ की
बने नातों का भी गवाह: काग़ज़
कहीं शादी कहीं निकाह: काग़ज़
कहीं तलाक़ का गुनाह: काग़ज़
बनाये और करे तबाह: काग़ज़
नोट काग़ज़ किताब है काग़ज़
सबकी आँखों का ख़्वाब है काग़ज़
मज़हबों का हिसाब है काग़ज़
रहम काग़ज़ अज़ाब है काग़ज़
छीन ले खेत घर ज़मीं काग़ज़
पोंछे आँखों की भी नमी काग़ज़
हर जगह यूँ है लाज़मी काग़ज़
जैसे घर का है आदमी काग़ज़
कुछ नहीं है मगर है सब कुछ भी
क्या अजब चीज़ है ये काग़ज़ भी