Andar Ki Baat Hai
अंदर की बात है
मालिक के हाथ है
इसमें मेरे क्या कसूर
अंदर की बात है
मालिक के हाथ है
इसमें मेरे क्या कसूर
मैं हु आदत से मजबूर
मैं हु आदत से मजबूर
अंदर की बात है
मालिक के हाथ है
इसमें मेरे क्या कसूर
मई सौदागर बड़ा निराला
बेच के खुशिया गम लेने वाला
अंगारों को गले लगा लो
ओरो को देकर फूलो की माला
बीता बिता बचपन आयी जवानी
पर न गयी मेरी आदत पुराणी
पुम पराम् पुम
अंदर की बात है
मालिक के हाथ है
इसमें मेरे क्या कसूर
जब लगती है चोट किसी को
दर्द से मेरा दिल रोता है
जब देखु मैं जुलम किसी परन जाने मुझे क्या होता है
खेलु खेलु खेलु ख़तरों से खेलु
ज़ुल्म करे जो जन उसकी लेलु
अंदर की बात है
मालिक के हाथ है
इसमें मेरे क्या कसूर
अपने लिए तो सब जीते है
औरों की खातिर जी कर देखो
अपना दुःख तो सब सहते है
औरों के आँसू पी कर देखो
सीखो सीखो सीखो यही तरीका
जीने का है बस यही सलीका
पुम पराम् पुम
अंदर की बात है
मालिक के हाथ है
इसमें मेरे क्या कसूर
अंदर की बात है
मालिक के हाथ है
इसमें मेरे क्या कसूर
मैं हु आदत से मजबूर
मैं हु आदत से मजबूर
अंदर की बात है
मालिक के हाथ है
इसमें मेरे क्या कसूर