Purvaiya

Javed Akhtar

समय के पन्नो पे लिख रही है
यह ज़िंदगी जो कहानी
है कैसे मोड़ इसमे आने वाले
ये बात किसने है जानी

यही ज़िंदगी हासाए
यही ज़िंदगी रुलाए
यही ज़िंदगी दे लोरी
यही ज़िंदगी जगाए
यही लाती है अंधेरे
यही रोशनी भी लाए
यही ज़ख़्म ज़ख़्म कर दे
और यही मरहम लगाए
हर पल यहाँ, नया समा
नये ज़मीन, नये आसमान है
कभी तो है नरम हवा
और कही गर्म आँधियाँ हैं आँधियाँ हैं
तेज़ चली रे पुरवैया
दिन मे लाई रात रे
तेज़ चली रे पुरवैया
बिखरे हैं फूल और पाथ रे
तो बस हैरान हैरान सोचे इंसान
होनी हैं अब क्या बात रे
बस हैरान हैरान सोचे इंसान
होनी हैं अब क्या बात रे
तेज़ चली रे पुरवैया

समय के पन्नो पे लिख रही है
यह ज़िंदगी जो कहानी
है कैसे मोड़ इसमे आने वाले
ये बात किसने है जानी

आ आ वो आँखें जो कहीं नही उनके सपने
मेने है संभाल के रखे
यादों ने सारी तस्वीरे और दिल ने
दर्द है कमाल के रखे
अपनी धड़कनो में और साँसों में
मेने जिसको रखा हैं ज़िंदा
उसकी उमीदों को उसके खवाबों को
कैसे ना होगा शर्मिंदा
राहो मे थे बिछे हुए
दहके दहके अंगारे
आकाश से पत्थर बरसे
ये सपने फिर भी ना हारे
फिर भी ना हारे
तेज़ चली रे पुरवैया
दुनिया लगाए घाट रे
तेज़ चली रे पुरवैया
दिल नही मानता मात रे
तो बस हैरान हैरान सोचे इंसान
होनी हैं अब क्या बात रे
बस हैरान हैरान सोचे इंसान
होनी हैं अब क्या बात रे
तेज़ चली रे पुरवैया
पुरवैया
तेज़ चली रे , तेज़ चली रे
तेज़ चली पुरवैया

Wissenswertes über das Lied Purvaiya von Shankar Mahadevan

Wer hat das Lied “Purvaiya” von Shankar Mahadevan komponiert?
Das Lied “Purvaiya” von Shankar Mahadevan wurde von Javed Akhtar komponiert.

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