Mere Mehboob
Anand Bakshi
मेरे महबूब, क़यामत होगी
आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेनाम निकलेगा तेरा ही लब से
जान जब इस दिल-ए-नाकाम से रुखसत होगी
मेरे महबूब क़यामत होगी
मेरे सनम के दर से अगर
बाद-ए-सबा हो तेरा गुज़र
कहना सितमगर कुछ है खबर
तेरा नाम लिया जब तक भी जिया
ऐ शमा तेरा परवाना
जिससे अब तक तुझे नफरत होगी
आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेरे महबूब क़यामत होगी
दिल का ये सिलसिला दर्द ऐसा मिला
बेखुद हुई जाने जाना में
तहा यहाँ फ़साना है
बेखुद हुई जाने जाना में
तहा यहाँ फ़साना है
फिर आज इधर आई हु मगर
यह कहने मैं दीवानी
ख़त्म बस आज ये वहशत होगी
आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेरे महबूब क़यामत होगी
आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेरे महबूब क़यामत होगी