Kahan Gaya Bedardi Man Ko Tadapa Ke [1]

Anuradha Paudwal

कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के मन को तड़पाके

कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के

तेरी मिलन के सपने जूते
झूठी तेरी कस्में है
तेरी मिलन के सपने झूठे
झूटी तेरी कस्में है
झूठे प्यार के सब रिश्ते है
झूठी वफ़ा की रस्मे है
झूठी आस बँधा के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के मन को तड़पाके
कहाँ गया बेदर्दी

मलते हैं माथे पर अपने हम क़िस्मत की सियाही को
मलते हैं माथे पर अपने हम क़िस्मत की सियाही को
देख रहे है ख़ुद आँखों से अपने घर की तबाही को
मौत से हाथ मिला के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
दिल का चैन चुरा के, मन को तड़पा के
कहाँ गया बेदर्दी

बिन आहट के जाने कब वो दिल का शीशा तोड़ गया
बिन आहट के जाने कब वो दिल का शीशा तोड़ गया
ग़म से भिगा हर मौसम वो मेरे लिए ही छोड़ गया
ग़म इशरत का बढ़ा के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
दिल का चैन चुरा के, मन को तड़पा के
कहाँ गया बेदर्दी

शहर का शहर है पत्थर जैसा, किस-किस का ऐतबार करूँ
शहर का शहर है पत्थर जैसा, किस-किस का ऐतबार करूँ
बेदर्दों के आगे कैसे बेज का मैं इज़हार करूँ
दुश्मन हैं सब जाँ के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
दिल का चैन चुरा के, मन को तड़पा के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
दिल का चैन चुरा के

Wissenswertes über das Lied Kahan Gaya Bedardi Man Ko Tadapa Ke [1] von Sonu Nigam

Wer hat das Lied “Kahan Gaya Bedardi Man Ko Tadapa Ke [1]” von Sonu Nigam komponiert?
Das Lied “Kahan Gaya Bedardi Man Ko Tadapa Ke [1]” von Sonu Nigam wurde von Anuradha Paudwal komponiert.

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