Paathshala
काफ़ी दिन हुए नया संगीत पेश है,
नाग से ये लोग जिनकी बातें करना शेष है,
नाचू फान्न पे इनके कृष्णा की तरह मैं देखो,
नाचता है गाने पे मेरे ये पूरा देश है
भेष था जो भूत काल में वो है भसम,
मैं देखता भविष्या राख में ये आग है करम,
ना करता है शरम ये मिश्रा जी का लड़का ढीठ है,
स्याही से विवाह, बोल तीर सब सटीक है
करीब से फकीर सब ये दूर से अमीर है,
जैसा मॅन हो चलती हन ज़ुबान मेरी वज़ीर है
अबीर है ये नैन रंगता खुद मैं अपना फलसफा
मधययका को कर खड़ा हूँ करता सबको ही दफ़ा
ज़लज़ला ये सिर हिला दे सिलसिला है सरगमी
सरसारा के सुर्ख स्याही से लिखूं मैं शायरी
काग़ज़ात ज़ार्ड है बेदर्द किससे बोलते
चीखती दावात अब भी सच तू फिर से बोल दे
हिप होप में गयाँ ही निराला है ये
हिप होप ने ही मुझे संभाला है ये
हिप होप तू सुन ज़रा लगा के कान
नये दौर में पुरानी पाठशाला है ये
हिप होप में गयाँ ही निराला है ये
हिप होप ने ही मुझे संभाला है ये
हिप होप तू सुन ज़रा लगा के कान
नये दौर में पुरानी पाठशाला है ये
है ये
पुरानी पाठशाल
वस्त्रा हैं बड़े ये मेरा तंन है जैसे सूखता
खूबसूरती है दिल मे तोपड़ा कुरूप सा
वजूद ना मिलेगा तुझपे मैं थूक डू जो
नाम बोल मेरा खुद को कहता तू बारूद सा
बातें गहरी बोल मेरिना ट्रेंच सारे,
लहरों से हैं ख़ौफ़ खाते ये खड़े किनारे,
शक़ है जिनको उनको मेरा इश्तिहार ये,
के शायरी को समझो सरबाटी समा है सार में
लार है बहाते स्वाद से सनी रुबैईयाँ,
विलाप करती धुन है कहती मार दोगे भाई क्या,
राई का पहाड़ ना बनाता खुद के शेखियो में,
बघार डू ना सच के फैल जाए रायता
बनाए जौ गीत बैठून ना मैं तक कर के
लगते है अब भी कड़वे बोल दाने शक्कर के
करता मैं बात अब भी दाम जैसे चप्पल के
और ये लड़के मुझपे शक करते
हिप होप में गयाँ ही निराला है ये
हिप होप ने ही मुझे संभाला है ये
हिप होप तू सुन ज़रा लगा के कान
नये दौर में पुरानी पाठशाला है ये
हिप होप में गयाँ ही निराला है ये
हिप होप ने ही मुझे संभाला है
हिप होप में गयाँ ही निराला है ये
हिप होप ने ही मुझे संभाला है