Suno Suno O Gaon Ke

JAVED AKHTAR, LAXMIKANT PYARELAL

अरे सुनो सुनो ओ गाओं के
रहने वालो देखो
गाओं में आया एक व्योपरि
डोर देश के धन से
उसकी जेब है भारी
उसके दिल में एक अरमान
खरीदे सब खेती खालयाण
हमारा कर्दे वो कल्याण
वो आया करके है सारी तैयारी
अरे सुनो सुनो ओ गाओं के
रहने वालो देखो
गाओं में आया एक व्योपरि

अरे हट अरे हट इतना सर मत चाड
तुझे क्या समझाए उनपढ़
ज़रा ठहरो के हम समझाएगा
तुम हुमको कहने दो
तुम्हारे गाओं में हम
कारखाना जब लगाएगा
तो सारे गाओं को हम
सहेर के जैसा बनाएँगे
जहा पुरवई के बदले में
चिमनी का धुआ होगा
ना फिर यह धरती ऐसी होगी
ना यह आसमान होगा
अरे यह भी तो सोचो
जो भी सहेर में मा होता है
वो सब कुछ यहा होगा
मगर इतना बता दो
मुझको तुम भैया
किसान अपनी ज़मीन जो बेच देगा
तो कहा होगा
तो फिर तुम यह कहो तुमको
बुरी हालत की आदत है

तराकी से तुम्हे नफ़रत
ग़रीबी से मोहब्बत है
ग़रीबी से नहीं मुझको
ग़रीबो से मोहब्बत है
यही है मेरी पूजा और
यही मेरी एबदत है
और तराकी के लिए क्या सोचते हो
तराकी वो नहीं होती जो
एक धनवान का घर भारदे
लेकिन सैकड़ो निर्धन रहे भूखे
फिरे बेघर जिया दिन रात मार मार के
तराकी वो नहीं होती
तो फिर हम भी सुने के
तुम तराकी कौन सी
चिड़िया को कहते हो
तराकी इसको कहते है
के हर एक घर में रोटी हो
तराकी इसको कहते है
के हर आँगन में ज्योति हो
तराकी इसको कहते है
के हर सीने में आशा हो
तराकी यह नहीं होती
के भाषण हो कमीशन हो
तमाशा हो
बहुत नाराज़ हो लेकिन सुनो
ज़मीन हम तुमसे जो लेगा
तो पूरा दाम भी देगा
यहा पर मिल बनाएगा
तो सबको काम भी देगा
काम तुम अपने आप मलिक हो
मगर यह शेत जी तुम
सबको अब नौकर बनाएगा
दम चलो यह भी सुनो के
दम यह कितना चुकाएगा

यह वो धरती है जिसको
मेरे पुरखो ने लहू को सिंच कर
फ़ासले उगाई थी
बताओ मेरे पुरखो के लहू का
दम क्या दोगे
यह वो धरती है जिसकी
गोद में बचपन मेरा खेला
यह धरती मेरी मा है
बताओ मेरी मा की ममता का
दम क्या दोगे
ज़रा देखो ज़रा देखो
हमारे गाओं को देखो
हवओ में बसे है गीत
हमारी बहनो मा ओ के
ज़मीन पर देखते है
हम निशान पुरखो के पाओ के
यहा के ज़र्रे ज़र्रे में
हमारी कितनी यादे है
हमारी जान है गाओं
मेरी पहचान है गाओं
मेरी पहचान का तुम यह बताओ
दम क्या दोगे

बहुत पंचम में बाते कर रहा है
मगर यह तो कहे क्या चाहता है
तुम्हारे दिल में गाओं का भला है
तो आओ साथ आओ
मेरे कंधे से तुम कंधा मिलाओ
हम इश्स धरती से वो फ़ासले उगाए
के हर भूखे को हम रोटी खिलाए
मिटा डाले ग़रीबी का यह किस्सा
बरा बार का मिले हर एक को हिस्सा
ना कोई मलिक हो ना कोई नौकर
लॉटेरा हो कोई ना कोई बेघर
हम अपने गाओं को ऐसा बनाए
हम अपने देख को ऐसा बनाए
बोलो है मंज़ूर है मंज़ूर
है मंज़ूर है मंज़ूर
है मंज़ूर है मंज़ूर
है मंज़ूर है मंज़ूर
है मंज़ूर है मंज़ूर
है मंज़ूर है मंज़ूर
है मंज़ूर है मंज़ूर
है मंज़ूर है मंज़ूर.

Wissenswertes über das Lied Suno Suno O Gaon Ke von Sudesh Bhosle

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Das Lied “Suno Suno O Gaon Ke” von Sudesh Bhosle wurde von JAVED AKHTAR, LAXMIKANT PYARELAL komponiert.

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