Aye Zulfe E Pareshaan

Rahi Masoom Reza

ए ज़ुल्फ़ ए परेशान ए हयात अब तो संवर जा
ए ज़ुल्फ़ ए परेशान ए हयात अब तो संवर जा
दिन ख़तम हुआ आ गयी रात अब तो संवर जा
घेरों की बनी जाती है बात अब तो संवर जा
दीवानो की हो जाए ना मात अब तो संवर जा
ए ज़ुल्फ़ ए परेशान ए हयात अब तो संवर जा

आईने से अब आँख मिलाई नही जाती
कट जाए पर गर्दन तो झुकाई नही जाती

जिस दर ने तुम्हें इज़्ज़त ओ तौक़ीर अता की
जिस दर ने तुम्हें खिलत ओ जागीर अता की
जिस दर ने तुम्हें एक नयी तक़दीर अता की
जिस दर ए तुम्हें अज़मत ओ तामीर अता की (आ आ आ आ)

अ अता की
क्या तुम यह दो रंगी जहाँ देख सकोगे
उस दर पे फिरंगी का निशान देख सकोगे

Wissenswertes über das Lied Aye Zulfe E Pareshaan von Sukhwinder Singh

Wer hat das Lied “Aye Zulfe E Pareshaan” von Sukhwinder Singh komponiert?
Das Lied “Aye Zulfe E Pareshaan” von Sukhwinder Singh wurde von Rahi Masoom Reza komponiert.

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