Kamre Men Bandh Suniye

Vedpal, Sawan Kumar

कमरे में बंद सोनिये
तुझे जिस घडी रब ने बनाया
ते सोचा विच रब पे गया
दूजा चाँद कहा से चढ़ आया
हो कमरे में बंद सोनिये
तुह्जे जिस घडी रब ने बनाया
ते सोचा विच रब पे गया
दूजा चाँद कहा से चढ़ आया
हो कमरे में बंद सोनिये

आँखे है या फूल कमल के
होठ है या दो शेर गज़ल के
आँखे है या फूल कमल के
होठ है या दो शेर गज़ल के
शेर गज़ल के
मेहमान बनके मेरा
देखो यार मेरे घर आया
ते सोचा विच रब पे गया
दूजा चाँद कहा से चढ़ आया
हो कमरे में बंद सोनिये

तुमको कही अब जाने न दूंगा
गैर को हाथ लगाने न दूंगा
तुमको कही अब जाने न दूंगा
गैर को हाथ लगाने न दूंगा
लगने न दूंगा
देखा है जबसे तुम्हें मैंने
सपना यही है सजाया
ते सोचा विच रब पे गया
दूजा चाँद कहा से चढ़ आया
हो कमरे में बंद सोनिये
तुह्जे जिस घडी रब ने बनाया
ते सोचा विच रब पे गया
दूजा चाँद कहा से चढ़ आया
हो कमरे में बंद सोनिये

Wissenswertes über das Lied Kamre Men Bandh Suniye von Suresh Wadkar

Wer hat das Lied “Kamre Men Bandh Suniye” von Suresh Wadkar komponiert?
Das Lied “Kamre Men Bandh Suniye” von Suresh Wadkar wurde von Vedpal, Sawan Kumar komponiert.

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