Husn Ko Behijab

Majaz Poetry

हुस्न को बहिजाब होना था
शौक को कामियाब होना था
हुस्न को बहिजाब होना था
हुस्न को बहिजाब होना था
शौक को कामियाब होना था
हुस्न को बहिजाब होना था

हिज़र में कैफ़े तेरा ना पुच्छ
हिज़र में कैफ़े तेरा ना पुच्छ
होने दे भी शराब होना था
होने दे भी शराब होना था
हुस्न को बहिजाब होना था

तेरे जलओो में भीड़ गया आख़िर
तेरे जलओो में भीड़ गया आख़िर
जारे को आफताब होना था
जारे को आफताब होना था
हुस्न को बहिजाब होना था

कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी
कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी
कुच्छ मुझे भी खराब होना था
कुच्छ मुझे भी खराब होना था
हुस्न को बहिजाब होना था
हुस्न को बहिजाब होना था
शौक को कामियाब होना था
हुस्न को बहिजाब होना था

Wissenswertes über das Lied Husn Ko Behijab von Talat Aziz

Wer hat das Lied “Husn Ko Behijab” von Talat Aziz komponiert?
Das Lied “Husn Ko Behijab” von Talat Aziz wurde von Majaz Poetry komponiert.

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