Huzur Apka Shukriya
दिल्लगी मैं कहूँ या मानु इसे मैं बेईमानी
ए खुदा तूने की ना जाने कैसी यह नादानी
दिल है यह बेज़ुबान प्यार है बेपनाह
और इतनी सी है यह ज़िंदगानी
हुज़ूर आपका शुक्रिया शुक्रिया
के दिल को धड़कने का मौका दिया
हुज़ूर आपका शुक्रिया शुक्रिया
के दिल को धड़कने का मौका दिया
हुज़ूर आपका शुक्रिया शुक्रिया
दिल्लगी मैं कहूँ या मानु इसे मैं बेईमानी
ए खुदा तूने की ना जाने कैसी यह नादानी
हुज़ूर आपका शुक्रिया शुक्रिया
के दिल को धड़कने का मौका दिया
हुज़ूर आपका शुक्रिया शुक्रिया
के दिल को धड़कने का मौका दिया
हुज़ूर आपका शुक्रिया शुक्रिया
ओ ओ ओ करनी मुझे है बातें बहुत
छोटी लगे यह रातें बहुत
करनी मुझे है बातें बहुत
छोटी लगे यह रातें बहुत
ए चाँदनी ना इतना महक
की ना जायें बहक बेवजह
हुज़ूर आपका शुक्रिया शुक्रिया
के दिल को धड़कने का मौका दिया
हुज़ूर आपका शुक्रिया शुक्रिया
के दिल को धड़कने का मौका दिया
हुज़ूर आपका शुक्रिया शुक्रिया