Man Mein Hai Basi Bas Chah Yahi

RAGHUNATH SETH

मन में है बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उच्चारा करूँ
बिठला के तुम्हे हिय मंदिर में मनमोहनी मूरत निहारा करूँ
भर के दृग पात्र में प्रेम का जल पद पंकज नाथ पखारा करूँ
बन प्रेम पुजारी तुम्हारी प्रभु, नित आरती भव्य उतारा करूँ
मन में है बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उच्चारा करूँ

तूम आओ ना आओ यहा तुमकों निश बासर हूँ मैं बुलाया करूँ
तेरी नाम की माला सदा मै प्रिये मन के मँनको पे फिराया करूँ
निजी पंत में पाव धरो तुम मैं पलके उस पंत बिछाया करूँ
भर लोचन की गगरी नित ही पद पंकज पे ढलकाया करूँ
मन में है बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उच्चारा करूँ

तुम आओ कभी यदि भूल यहाँ दृग नीर से पाँव पखारा करूँ
मन मंदिर को कर स्वच्छ प्रभु उर आसन पर पधराया करूँ
मृदु मंजुल भाव की माला बना तेरे पूजा का साज़ सजाया करूँ
अब और नही कुछ पास मेरे नित प्रेम प्रसून चढ़ाया करूँ
मन में है बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उच्चारा करूँ

तुम जान अयोग्य बिसारो मुझे पर मैं ना तुझे बिसराया करूँ
गुणगान करूँ नित ध्यान करूँ तुम मान करो मैं मनाया करूँ
तव प्रेम पुजारियो की पद धूल मैं सदा निज शीश चढ़ाया करूँ
तेरे भक्तों की भक्ति करूँ मैं सदा तेरे चाहने वालों को चाहा करूँ
मन में है बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उच्चारा करूँ

Wissenswertes über das Lied Man Mein Hai Basi Bas Chah Yahi von Usha Mangeshkar

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Das Lied “Man Mein Hai Basi Bas Chah Yahi” von Usha Mangeshkar wurde von RAGHUNATH SETH komponiert.

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