Zulfon Mein Ek Chehra Apna Sa Lag Raha Hai

Ram Rasik

ह्म ह्म ह्म ह्म ला ला ला ला हे हे हे
जुल्फों में एक चेहरा
अपना सा लग रहा हैं
वो सामने हैं फिर भी
सपना सा लग रहा हैं
लग रहा हैं, लग रहा हैं
जुल्फों में एक चेहरा
अपना सा लग रहा हैं
वो सामने हैं फिर भी
सपना सा लग रहा हैं
लग रहा हैं, लग रहा हैं

सिमटे हुए हैं उनके
आँचल में सब नज़ारे
होठों पे हैं तबस्सुम
आँखो में हैं शरारे

हा सिमटे हुए हैं उनके
आँचल में सब नज़ारे
होठों पे हैं तबस्सुम
आँखो में हैं शरारे
पहेले भी ऐसा जलवा
देखा सा लग रहा हैं
वो सामने हैं फिर भी
सपना सा लग रहा हैं
लग रहा हैं, लग रहा हैं

हुस्नो शबाब का ये
कैसा हैं जादू छाया
सब कुछ भुला दिया हैं
जो कुछ था याद आया

हुस्नो शबाब का ये
कैसा हैं जादू छाया
सब कुछ भुला दिया हैं
जो कुछ था याद आया
दिल उनकी चाहतो में
डूबा सा लग रहा हैं
वो सामने हैं फिर भी
सपना सा लग रहा हैं
लग रहा हैं, लग रहा हैं

खामोशिया हैं लेकिन
धड़कन बता रही हैं
दोनो दिलो को जैसे
नज़दीक ला रही हैं

खामोशिया है लेकिन
धड़कन बता रही हैं
दोनो दिलो को जैसे
नज़दीक ला रही हैं
उल्फ़त का एक दरिया
बहता सा लग रहा हैं
वो सामने हैं फिर भी
सपना सा लग रहा हैं
लग रहा हैं, लग रहा हैं
जुल्फों में एक चेहरा
अपना सा लग रहा हैं
वो सामने हैं फिर भी
सपना सा लग रहा हैं
लग रहा हैं, लग रहा हैं

Wissenswertes über das Lied Zulfon Mein Ek Chehra Apna Sa Lag Raha Hai von Vinod Rathod

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Das Lied “Zulfon Mein Ek Chehra Apna Sa Lag Raha Hai” von Vinod Rathod wurde von Ram Rasik komponiert.

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