Rubaru

Manoj Muntashir

लो बान के धुए सा फैला है चारसू
तू लापता है फिर भी हर और तू ही तू
लो बान के धुए सा फैला है चारसू
तू लापता है फिर भी हर और तू ही तू
मैं हूँ फ़कीर तेरा रख मेरी आबरू
हामी ये बेक्सा है इतनी सी आरजू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू

सरफिरी हवा रोक दे जरा
तूने जो बनाया वो बिगाड़ने ना दे
मेरी हार में तेरी हार है
हारने ना दे मुझे तू हारने ना दे
ऐसे जुड़े मुझसे मैं घट जावां
तेरा जो करम हो मैं छट जावां
मैं शाम का धुंधलका तू नूर हूबहू
हामी ये बेक्सा है इतनी सी आरजू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू

तू ही पहली जिद्द तू ही हर्फ़ ए आखिर
मेरे दिल में जो हो तुजपे हो जाहिर
में खोल दी बाहें तेरी खातिर
नजदीक इस कदर हे फिर क्यों हे दूर तू
हामी ये बे कसा हे इतनी सी आरजू

तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू

अब आन नीला मोर सजन मन की लगन समझो
है लूट रही दिल को मेरे इश्क़ तपन समझो
नश नश में मेरे तुम ही तुम
ना बस में ये मन समझो
मुख़बिर हो मेरे दिल के
तो बिन बोले सजन समझो

तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू
तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू

Wissenswertes über das Lied Rubaru von Vishal Mishra

Wer hat das Lied “Rubaru” von Vishal Mishra komponiert?
Das Lied “Rubaru” von Vishal Mishra wurde von Manoj Muntashir komponiert.

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