Matlab

Kumaar

मेरा इश्क़ तो उसके लिए
सीढ़ियों से ज़्यादा कुछ नहीं था
प्यार में मुझे करके इस्तेमाल
छोड़ा जैसे मैं अजनबी था
सीने में दिल ना रोता
दिल से जो थामा होता
तो हाथ छूटते नहीं
मतलब निकाल गया तो अब
वो पूछते नहीं
अब वो पूछते नहीं
मौसम बदल गया तो
अब वो पूछते नहीं
अब वो पूछते नहीं
ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म
ह ह ह ह ह

मैं उसे चाहता रहा पागल की तराह
और वो आके चली गयी बादल की तरह
ज़िंदगी में उसकी मैं था एक जरिया
मैं था कश्ती दिल था मेरा एक दरिया
मुझपे चल के उसने पाये है किनारे
पूरे मुझसे ही किए है ख्वाब सारे
थे काँच से भी कच्चे
वादे जो होते सच्चे
तो वादे टूटते नहीं
मतलब निकाल गया तो अब वो पूछते नहीं
अब वो पूछते नहीं
मौसम बदल गया तो अब वो पूछते नहीं
अब वो पूछते नहीं
ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म
ह ह ह ह ह

Wissenswertes über das Lied Matlab von Yasser Desai

Wer hat das Lied “Matlab” von Yasser Desai komponiert?
Das Lied “Matlab” von Yasser Desai wurde von Kumaar komponiert.

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