रूह का रिश्ता

Sonal Pradhan

अनकही है जो बातें
कहनी है तुमसे ही
क्यूँ ये नज़रें मेरी
ठहरी हैं तुमपे ही
रूह का रिश्ता ये जुड़ गया
जहाँ तू मुड़ा मैं भी मुड़ गया
रास्ता भी तू है मंज़िल भी तू ही
हाँ तेरी ही ज़रूरत है मुझे
यह कैसे समझौं मैं तुझे
माँगता हूँ तुझे या तुझसे ही
रूह का रिश्ता ये जुड़ गया
जहाँ तू मुड़ा मैं भी मुड़ गया
रास्ता भी तू है मंज़िल भी तू ही
हाँ तेरी ही ज़रूरत है मुझे
यह कैसे समझौं मैं तुझे
माँगता हूँ तुझे या तुझसे ही

बेचैनियाँ अब बढ़ने लगी है
सब्र रहा ना बेसब्री है
आँच थोड़ी साँसों को दे
मुश्क़िल में ये जान मेरी है
बहता हूँ तुझमें मैं भी
ना छुपा खुद से ही
महकूँ खुशबू से जिसकी
बन वो कस्तूरी
रूह का रिश्ता ये जुड़ गया
जहाँ तू मुड़ा मैं भी मुड़ गया
रास्ता भी तू है मंज़िल भी तू ही
हाँ तेरी ही ज़रूरत है मुझे
यह कैसे समझौं मैं तुझे
माँगता हूँ तुझे या तुझसे ही

जब से मिला हूँ तुझसे
बस ना रहा है खुद पे
बोलती आँखों ने जादू कर दिया
बख़्श दे मुझे ख़ुदारा
मैने जब उसे पुकारा
हो गयी ख़ता तेरा नाम ले लिया
साथ हो जो उम्र भर
वो खुशी बन मेरी
हर कमी मंज़ूर है
बिन तेरे जीना नहीं
रूह का रिश्ता ये जुड़ गया
जहाँ तू मुड़ा मैं भी मुड़ गया
रास्ता भी तू है मंज़िल भी तू ही
हाँ तेरी ही ज़रूरत है मुझे
यह कैसे समझौं मैं तुझे
माँगता हूँ तुझे या तुझसे ही

Wissenswertes über das Lied रूह का रिश्ता von Yasser Desai

Wer hat das Lied “रूह का रिश्ता” von Yasser Desai komponiert?
Das Lied “रूह का रिश्ता” von Yasser Desai wurde von Sonal Pradhan komponiert.

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