Yeh Raat Bheegi Bheegi
SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan
ये रात भीगी भीगी ये मस्त फिजाये
उठा धीरे धीरे वो चाँद प्यारा प्यारा
ये रात भीगी भीगी ये मस्त फिजाये
उठा धीरे धीरे वो चाँद प्यारा प्यारा
क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चांदनी
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा हम्म हम्म हम्म हम्म्म
इठलाती हवा नीलम सा गगन
कलियों पे ये बेहोशी की नमी
ऐसे में भी क्यूँ बेचैन है दिल
जीवन में ना जाने क्या है कमी
क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चांदनी
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा
ये रात भीगी भीगी ये मस्त फिजाये
उठा धीरे धीरे वो चाँद प्यारा प्यारा हम्म हम्म्म हम्म्म हम्म्म