Sardi Ki Raat
सर्दी की रातों में चाँद तले
हम तुम सनम छुप के छत पे मिले
मेरी किताबों में जो थे छिपे
तुमने सनम खत वो फिर से पढ़े
वो हँसना बेबाकी से तेरा सनम
वो नज़रें झुकाना जो आए शरम
ज़िक्र तेरा जब आएगा
मुझे वो प्यार याद आएगा
थे हम बेक़रार याद आएगा
मुझे वो प्यार याद आएगा
थे हम बेक़रार याद आएगा
इक रोज़ मैं तुमसे नाराज़ था
कोई ग़ैर जब तेरे पास था
संभला ये दिल जब तुमने बताया
वो कुछ भी नही महज़ एक इत्तेफाक था
ज़ख्म दिल का भी भर जाएगा
मुझे वो प्यार याद आएगा
थे हम बेक़रार याद आएगा
मुझे वो प्यार याद आएगा
थे हम बेक़रार याद आएगा
दिसम्बर के महिने की वो रात थी
बड़े ज़ोर की तब बरसात थी
घर पे तुम्हारे कोई देख लेगा
इसी डर से तुने ना मुलाक़ात की
अब दिसम्बर भी जब आएगा
मुझे वो प्यार याद आएगा
रोए बार बार याद आएगा
था इश्क़ सवार याद आएगा
कहाँ मेरा यार याद आएगा