Kisae Dekhen Kahan

Nazir Kazmi

सारा सारा दिन गलियों में फिरते है बेकार
सारा सारा दिन गलियों में फिरते है बेकार
रातो उठ उठ कर रोते हैं इस नगरी के लोग
नासिर हमको रात मिला था
नासिर हमको रात मिला था तन्हा और उदास
वही पुरानी बाते उसकी वही पुराना रोग
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए
वो देखा हैं जहाँ
वो देखा है जहाँ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए

पुरानी सोहबते याद आ रही हैं
पुरानी सोहबते याद आ रही हैं
चरागो का धुआ हाए
चरागो का धुआ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए

कहीं तुम और कहीं हम क्या ग़ज़ब हैं
कहीं तुम और कहीं हम क्या ग़ज़ब हैं
फ़ीराक-ए-जिस्मो जां हाए
फ़ीराक-ए-जिस्मो जां देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए

वही जो हासीले हस्ती है नासिर
वही जो हासीले हस्ती है नासिर
उसीको मेहरबाँ हाए
उसीको मेहरबाँ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए
वो देखा हैं जहाँ
वो देखा है जहाँ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए
किसे देखें कहाँ देखा ना जाए

Wissenswertes über das Lied Kisae Dekhen Kahan von पिनाझ मसानी

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Das Lied “Kisae Dekhen Kahan” von पिनाझ मसानी wurde von Nazir Kazmi komponiert.

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