काबुल फ़िज़ा

ADITYA DHAR, RAGHAV SACHAR

यह सफ़र यह इम्तिहान
बेज़ुबान मेरी दस्ताअन
जीने का यह है फलसफा
गुम में भी खुशियों की सदा
है यहाँ
जाने खुदा ना जाने खुदा
यह जो हुआ क्या जाने खुदा
खोई सी है यहाँ सब की दुआ
काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ा
लमहू में जीने का निशान
ख्वाबो में डुनधे आशियाँ
हर एक नज़र हर एक दिल तनहां
सोइ हुई आखून का सपना
है यहाँ
जाने खुदा ना जाने खुदा
यह जो हुआ क्या जाने खुदा
काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ाआआआआआआआआ

उम्म्म हा खुदा के बंदे हम
खुदा के सजदे में गुम
खुदा की रहमत की गुण
गाती है हम और तुम
हो खुदा की महफ़िल में आ
खुदा को अपना बना
देख कैसे खुदा बनाए तुझको
आख़िर से इंसान खोया कहाँ
तेरी ज़मीएं तेरा जहाँ
है यहाँ
काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ा
देखो ज़रा यह है काबुल फ़िज़ा
तेरी ज़मीएं तेरा है जहाँ
काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ाआअ
जाने खुदा ना जाने खुदा
यह जो हुआ क्या जाने खुदा
खोई सी है यहाँ सब की दुआ
काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ा

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