Nakhralo
Manoj Muntashir
कस्तूरी सी सोंदी सोंदी एक मेहक जागी
हो कस्तूरी सी सोंदी सोंदी एक मेहक जागी
बंजर मन के भीतर भीतर देख अलक जागी
अब ना कुछ भी और सुहावे
नैना दीपक राग सुनावे
म्हारा मन होयो नखरालो
ओ यारा म्हारा मन होयो नखरालो
हो अब ना कुछ भी और सुहावे
नैना दीपक राग सुनावे
म्हारा मन होयो नखरालो
ओ यारा म्हारा मन होयो नखरालो
जिनको जा कन पाइयाँ गेहरे पानी बैठ
जिनको जा कन पाइयाँ गेहरे पानी बैठ रे
जिनको जा कन पाइयाँ गेहरे पानी बैठ रे
वो छाने मिट्टी नीरी
वो छाने मिट्टी रहा जो सोच किनारे बैठ
जितना डुबे उतना पावे
नैना दीपक राग सुनावे
म्हारा मन होयो नखरालो
ओ यारा म्हारा मन होयो मतवालो
ना कुछ भी और सुहावे
नैना दीपक राग सुनावे
म्हारा मन होयो नखरालो
ओ यारा म्हारा मन होयो नखरालो