Matwale Panese
गम्ज़ा पैकान हुआ जाता है
दिल का अर्मान हुआ जाता है
देख कर उलझी हुई ज़ुल्फ़ उन की
दिल परेशान हुआ जाता है
देख कर उलझी हुई ज़ुल्फ़ उन की
दिल परेशान हुआ जाता है
गम्ज़ा पैकान हुआ जाता है
दिल का अर्मान हुआ जाता है
तेरी वह्शत की बदौलत-ए-दिल
घर बियाबान हुआ जाता है
घर बियाबान हुआ जाता है
साज़-ओ-सामान का न होना ही मुझे
साज़-ओ-सामान हुआ जाता है
साज़-ओ-सामान का न होना ही मुझे
साज़-ओ-सामान हुआ जाता है
दिल से जाते हैं मेरे सब्र-ओ-क़रार
घर ये वीरान हुआ जाता है
घर ये वीरान हुआ जाता है
दिल की रग्रग में समा कर 'बेदम'
दर्द तो जान हुआ जाता है