Mere Rashke Qamar [Recreated]

ADIL NADAF, NUSRAT FATEH ALI KHAN

मेरे रश्के क़मर तूने पहली नज़र
जब नज़र से मिलायी मज़ा आ गया
मेरे रश्के क़मर तूने पहली नज़र
जब नज़र से मिलायी मज़ा आ गया
बर्क सी गिर गयी काम ही कर गयी
आग ऐसी लगायी मज़ा आ गया
जाम में घौल कर हुस्न की मस्तियाँ
चांदनी मुस्कुराई मज़ा आ गया

बे हिजाबाना वो सामने आ गए
बे हिजाबाना वो सामने आ गए
और जवानी जवानी से टकरा गयी
आँख उनकी लड़ी यूँ मेरी आँख से
आँख उनकी लड़ी यूँ मेरी आँख से
देख कर ये लड़ाई मज़ा आ गया
मेरे रश्के क़मर तूने पहली नज़र
जब नज़र से मिलायी मज़ा आ गया
ओह बर्क सी गिर गयी काम ही कर गयी
बर्क सी गिर गयी काम ही कर गयी
आग ऐसी लगायी

Wissenswertes über das Lied Mere Rashke Qamar [Recreated] von सिद्धार्त स्लाथिया

Wer hat das Lied “Mere Rashke Qamar [Recreated]” von सिद्धार्त स्लाथिया komponiert?
Das Lied “Mere Rashke Qamar [Recreated]” von सिद्धार्त स्लाथिया wurde von ADIL NADAF, NUSRAT FATEH ALI KHAN komponiert.

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