Raat Kali Ek Khwab Men Aayi [Unplugged]

Rahul Jain, R.D. Burman, Majrooh Sultanpuri

हा हा हा हा हा हा
द रे न न न न न

चाहे कहो इसे मेरी महोबत
चाहे हँसी में उड़ा दो
ये क्या हुआ मुझे मुझ को ख़बर नहीं
हो सके तुम्हीं बता दो
चाहे कहो इसे मेरी महोबत
चाहे हँसी में उड़ा दो
ये क्या हुआ मुझे मुझ को ख़बर नहीं
हो सके तुम्हीं बता दो
तुम ने क़दम तो रखा ज़मीं पर
सीने में क्यूँ
झनकार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई

हो हो हो हो हो हो हो

यूँ तो हसीनों के
माहजबीनों के होते हैं
रोज़ नज़ारे
पर उन्हें देख के देखा
है जब तुम्हें, तुम लगे
और भी प्यारे
यूँ तो हसीनों के
माहजबीनों के होते हैं
रोज़ नज़ारे
पर उन्हें देख के देखा
है जब तुम्हें, तुम लगे
और भी प्यारे
बाँहों में ले लूँ ऐसी
तमन्ना एक नहीं, कई बार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई

आँखों में काजल
और लटो में काली घटा का बसेरा
सावली सूरत मोहनी मूरत
सावन रुत का सवेरा
आँखों में काजल
और लटो में काली घटा का बसेरा
सावली सूरत मोहनी मूरत
सावन रुत का सवेरा
जब से ये मुखड़ा दिल में खिला है
दुनिया मेरी गुलज़ार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई
सुबह को जब हम नींद से जागे
आँख उन्हीं से चार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई
और गले का हार हुई

Wissenswertes über das Lied Raat Kali Ek Khwab Men Aayi [Unplugged] von राहुल जैन

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Das Lied “Raat Kali Ek Khwab Men Aayi [Unplugged]” von राहुल जैन wurde von Rahul Jain, R.D. Burman, Majrooh Sultanpuri komponiert.

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