Athave Ajuni Yamunatir
G. D. Madagulakar
आठवे अजुनी यमुनातीर
आठवे अजुनी यमुनातीर
तुझ्या मुरलीचे सूर मनोहर शीतल सांज समीर
आठवे अजुनी यमुनातीर
आठवे अजुनी यमुनातीर
कळते मज की मी पर-नारी
सुखी असावे मी संसारी
पुन्हा न दिसणे सखा श्रीहरी
भासामागे तरीही धावे वेडे चित्त अधीर
आठवे अजुनी यमुनातीर
आठवे अजुनी यमुनातीर
प्रीत पतीची लाभे निर्मळ
घरात नांदे भरले गोकुळ
तरी न विसावे हे मन चंचल
सौख्य छळे मज दु:खासम हे डोळा दाटे नीर
आठवे अजुनी यमुनातीर
आठवे अजुनी यमुनातीर
हरपुन गेले त्याच्यासाठी
खुळा हुंदका येतो ओठी
उरी ठरे ना ठरे न पोटी
गूजासह या कैसी गाठू या जन्माचे तीर
आठवे अजुनी यमुनातीर
आठवे अजुनी यमुनातीर