Kshani Ya Dubhanguniya

Dashrath Pujari, Yashod Kumar Galvankar

क्षणीं या दुभंगुनिया घेई कुशीत माते
अश्राप भूमिकन्या तुज आज आळविते
क्षणीं या दुभंगुनिया

मम अमिनेदिव्य गाथा त्रैलोक्य गात असता
शंका जनी पुन्हा का का त्याग भाळी होता
नुसतीच वंचना ही हे न्यायदान खोटे
अश्राप भूमिकन्या तुज आज आळविते
क्षणीं या दुभंगुनिया

पोटी रघुकुलांकुर जपण्यास प्राण धरिले
प्रतिराम करुनी बाळा कर्तव्यपार झाले
पुत्रास तात मिळती परि मी अनाथ उरते
अश्राप भूमिकन्या तुज आज आळविते
क्षणीं या दुभंगुनिया

वच देह अन्‌ मनाने पतिनिष्ठताच जपली
थ्यानी तशीच स्वप्नी वैदेही राम स्मरली
पतिधर्म ब्रीद माझे लावूनिया पणा ते
अश्राप भूमिकन्या तुज आज आळविते
क्षणीं या दुभंगुनिया घेई कुशीत माते
अश्राप भूमिकन्या तुज आज आळविते
क्षणीं या दुभंगुनिया

Wissenswertes über das Lied Kshani Ya Dubhanguniya von सुमन कल्याणपुर

Wer hat das Lied “Kshani Ya Dubhanguniya” von सुमन कल्याणपुर komponiert?
Das Lied “Kshani Ya Dubhanguniya” von सुमन कल्याणपुर wurde von Dashrath Pujari, Yashod Kumar Galvankar komponiert.

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