Na Tum Hamen Jano

Majrooh Sultanpuri, S D Burman

न तुम हमें जानो
न हम तुम्हें जानें
मगर लगता है कुछ ऐसा
मेरा हमदम मिल गया
न तुम हमें जानो
न हम तुम्हें जानें
मगर लगता है कुछ ऐसा
मेरा हमदम मिल गया

ये मौसम ये रात चुप है
वो होंठों की बात चुप है
खामोशी सुनाने लगी, है दास्तां
ये मौसम ये रात चुप है
वो होंठों की बात चुप है
खामोशी सुनाने लगी, है दास्तां
नज़र बन गई है, दिल की ज़ुबां
न तुम हमें जानो
न हम तुम्हें जानें
मगर लगता है कुछ ऐसा
मेरा हमदम मिल गया

मुहब्बत के मोड़ पे हम
मिले सबको छोड़ के हम
धड़कते दिलों का ले के ये कारवाँ
ओ ओ ओ ओ
मुहब्बत के मोड़ पे हम
मिले सबको छोड़ के हम
धड़कते दिलों का ले के ये कारवाँ
के जायेंगे दोनो जाणे कहा
न तुम हमें जानो
न हम तुम्हें जानें
मगर लगता है कुछ ऐसा
मेरा हमदम मिल गया

Wissenswertes über das Lied Na Tum Hamen Jano von सुमन कल्याणपुर

Wer hat das Lied “Na Tum Hamen Jano” von सुमन कल्याणपुर komponiert?
Das Lied “Na Tum Hamen Jano” von सुमन कल्याणपुर wurde von Majrooh Sultanpuri, S D Burman komponiert.

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