Zara Si Baat Pyar Ki Zuban Se

Ravi, Asad Bhopali

ज़रा सी बात प्यार की
जुबां से निकल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी
ज़रा सी बात प्यार की
जुबां से निकल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी

ज़रा इधर तो देखिये
निगाह तो मिलाइये
ज़रा इधर तो देखिये
निगाह तो मिलाइये
ये नरम होंठ इस तरह
न दांतों में दबाइये
ये होठ क्या दबे यहा
तो जान ही निकल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी
ज़रा सी बात प्यार की
जुबां से निकल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी

हमारे प्यार का जवाब गैरो को ना दिजिये
हमारे प्यार का जवाब गैरो को ना दिजिये
जरा संभल के बैठिये पसीना पोंछ लिजिए
ये आप क्या चले यहाँ छुरी सी दिल पे चल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी
ज़रा सी बात प्यार की
जुबां से निकल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी
हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी

ज़रा शरीफ लड़कियों
से बात करना सीखिए
ज़रा शरीफ लड़कियों
से बात करना सीखिए
फिर उसके बाद आईने
में अपनी शक्ल देखिये
हमारे मेहमान थे
तो बात आके टल गयी
नहीं तो लोग पूछते के
शक़्ल क्यूँ बदल गयी

हुज़ूर क्या खता हुई
निगाह क्यों बदल गयी

Wissenswertes über das Lied Zara Si Baat Pyar Ki Zuban Se von सुमन कल्याणपुर

Wer hat das Lied “Zara Si Baat Pyar Ki Zuban Se” von सुमन कल्याणपुर komponiert?
Das Lied “Zara Si Baat Pyar Ki Zuban Se” von सुमन कल्याणपुर wurde von Ravi, Asad Bhopali komponiert.

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