Din Doobay

ALI ZAFAR

दिन डूबे जब शाम जवान हो
अजनबी सा कोई समा हो
दिन डूबे जब शाम जवान हो
अजनबी सा कोई समा हो
जानूं ना मैं किस गली मैं
कोई जो पूछे तुम कहाँ हो
तुम कहाँ हो
दिन डूबे जब शाम जवान हो
अजनबी सा कोई समा हो
जानूं ना मैं किस गली मैं
कोई जो पूछे तुम कहाँ हो
तुम कहाँ हो

अंजनी हैं रहाीन यह
किस की हैं बहाीन यह
अजनबी सा कोई समा हो
दिन डूबे जब शाम जवान हो
जानूं ना मैं किस गली मैं
कोई जो पूछे तुम कहाँ हो
तुम कहाँ हो
दिन डूबे जब शाम जवान हो
अजनबी सा कोई समा हो
जानूं ना मैं किस गली मैं
कोई जो पूछे तुम कहाँ हो
तुम कहाँ हो

कैसी है यह परछाईयाँ
मेरे साथ चली हैं जो
किया बताओं कौन हैं यह
काश मुझे अपनी खबर हो
जानूं ना मैं किस गली मैं
कोई जो पूछे तुम कहाँ हो
तुम कहाँ हो तुम कहाँ हो
दिन डूबे जब शाम जवान हो
अजनबी सा कोई समा हो
दिन डूबे जब शाम जवान हो
अजनबी सा कोई समा हो
जानूं ना मैं किस गली मैं
कोई जो पूछे तुम कहाँ हो
तुम कहाँ हो तुम कहाँ हो

Wissenswertes über das Lied Din Doobay von Ali Zafar

Wer hat das Lied “Din Doobay” von Ali Zafar komponiert?
Das Lied “Din Doobay” von Ali Zafar wurde von ALI ZAFAR komponiert.

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