Dialogue Ajay Main Ek Baar Phir

Satish Bhatnagar

अजय में एक बार फिर तुझे कह रहा हूँ वो जलील तेरा बाप नहीं हो सकता
बरसो से आज तक जो चेहरा इन आँखों के सामने घूम रहा हे
उसे पहचानने में ये आँखें धोखा नहीं खा सकती
नहीं अजय वो कमीना तेरा बाप नहीं
विजय तेरी जगह कोई और होता तो मैंने उसकी जबान काट ली होती
देख विजय माँबाप का रिश्ता सभ से बड़ा रिश्ता होता हे
भगवान् के लिए उसे गालियां मत दे
तू मेरा यकीन क्यों नहीं करता के मेरे पिताजी तेरे बाबूजी के कातिल नहीं
अरे वो जलील क्या हे में अच्छी तरह जनता हूँ
और तेरी रगो में उसी का गन्दा खून बह रहा हे
इसका यकीन में भी अब मुझे होने लगा हे
जिस खून को तू गन्दा कह रहा हे
उसी के खून की वजह से तू अभी तक जिन्दा हे विजय
वो देख
ओ तो अपनी बाप की बिरादरी के खाये पिए पिल्लै साथ लेकर आये हो
नहीं एक बार इसने मेरी जान बचाई थी
आज में इसे जिंदगी की भीख दे रहा हूँ
हिसाब बराबर
तेरा हिसाब तेरी कस्मे तेरी जबान
कहते हे नेकी क्र और दरिया में डाल
मैंने नेकी क्र के गंदे नाले में डाल दी
बस विजय बीएस इस के आगे में इक लफ्ज नहीं सुन सकता
कहीं ऐसा न हो की मेरा हाथ
पिता पर पूत जाट पर घोडा
साप की औलाद को कितना भी दूध पिलाओ
असीम का साप
अपनी जबान रोक ले विजय
सो गालियों के बाद भगवान् से भी सब्र नहीं हुआ था
में तो सिर्फ इंसान हूँ
इंसान नहीं इंसान के नाम में कलंक
दोस्ती के नाम पर धब्बा
इस के आगे इक लफ्ज नहीं बोलना विजय
अगर तुम मेरी जबान रोकना चाहते हो अजय
तो कह की तुम मेरे दोस्त हो
उस जलील कंजर्व कुत्ते की औलाद नहीं विजय

Wissenswertes über das Lied Dialogue Ajay Main Ek Baar Phir von Amitabh Bachchan

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Das Lied “Dialogue Ajay Main Ek Baar Phir” von Amitabh Bachchan wurde von Satish Bhatnagar komponiert.

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